रविवार, 11 मार्च 2012

"r u there "?......

मेरे inbox  में पड़ा तुम्हारा सन्देश.......
'क्या हुआ
r  u there "?.....
"where r u ????????"
आज मुझे चिढ़ा रहा है,
खूब रुला रहा है,
जितनी पीड़ा ताउम्र  नहीं मिली,
उससे ज्यादा आज तड़प
एक पल में पा ली....
जीवन भर न मिट पानेवाली
ग्लानि पा ली.....


मैं रुक न सकी दो पल,
और तुम इतनी आगे निकल गए...
मेरे उत्तर की प्रतीक्षा भी न कर सके?
मेरा जवाब तो सुन लेते,
जाते-जाते कुछ तो कह जाते .
आज बार-बार मैं msg कर रही हूँ..
'क्या हुआ, r u there ?'
कोई जवाब नहीं...
अब; कभी कोई जवाब नहीं...
जीवन भर पूछती ही रह जाऊँगी
पर अब कभी कोई जवाब न पाऊँगी 
क्यों न इंतज़ार कर सकी उस पल
और अब इंतज़ार हर पल
अविराम........



शनिवार, 3 मार्च 2012

आई होली आई!


लो आ गयी होली,
फिर से छा गयी होली...
मतवाली बयारों संग,
मन को भा गयी होली...


लाल-गुलाबी-नीला-पीला,
रंग उड़े है चारों ओर....
नाचे बाबा देवर बन के,  
देखो नाचे जैसे  मोर ...


खाके गुझिया चढ़ाकर भंग,
देखो डाले सबपे रंग..........
होली के हुल्लारे में, 
भीगा सबका मन और अंग .....




ना कोई बैर, ना कोई दुश्मन,
भूले हर कोई अपना गम...
लग जाएँ गले एक-दूजे के, 
छाए ऐसे होली हरदम.........


अबकी रंग लगाना सबको ऐसा,
कोई और न रंगत छाए,
मतलब से भरी इस दुनिया में
बस प्यार का रंग रह जाए......