शुक्रवार, 1 मार्च 2013

प्यार, इश्क, मुहब्बत ......

अधूरे हर्फ़ 
प्यार,
इश्क,
मुहब्बत ......

अधूरा प्रेम 
लैला,
हीर,
सोहिनी .......

अधूरी जिंदगी 
मँजनू,
राँझा,
महिवाल ......

सब अधूरा 
परन्तु; 
छाप 
अमिट ......


ना मिले; 
मीरा 
और 
कृष्ण भी तो ......

परन्तु; 
पूर्ण प्रेम,
पूर्ण 
एकात्मकता ......

ना हुये; 
कान्हा भी तो 
राधा  
के  .........

परन्तु; 
जीवंत 
अद्यतन; वह 
प्रेम, वह पूर्णता .. .....

क्योंकि; 
प्रेम नहीं 
कभी भी 
अधूरा .......

करता वह 
परिपूर्ण; 
समस्त 
भावनाओं से .....


पढ़ाता,
मनुजता का 
पाठ 
सबको ......






....................................डॉ . रागिनी मिश्र ................




17 टिप्‍पणियां:

  1. अद्भुत ....बहुत सुंदर सुदृढ़ रचना .....
    आभार ।

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  2. रचना ...
    कुछ अलग सी !
    शुभकामनायें !

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  3. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (2-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  4. प्रेम पूरा हो या नहीं , परिपूर्ण करता है ....
    वाकई ...
    शानदार भावाभिव्यक्ति !

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  5. गहन भाव लिए सुन्दर रचना...
    अति सुन्दर....
    :-)

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  6. सच कहा है ... प्रेम की अनुभूति ही पूर्णता का एहसास करा देती है ...

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  7. प्यार, इश्क और मोहब्बत की रुमानियत तलाशती सुंदर कविता. बधाई रागिनी जी इस सुंदर कविता हेतु.

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  8. बेहद प्रभाव साली रचना और आपकी रचना देख कर मन आनंदित हो उठा बहुत खूब

    आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में

    तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

    .

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  9. दिल में गहरे उतारते ... सभी अनमोल छंद ...

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