जब भी जीवन में आगे बढ़ी हूँ..........दो रास्ते सामने आये हैं.उन जद्दो-जहद से निकलने में जो-जो अनुभव हुए हैं......उनसे ही अपने अस्तित्व को आंकती हूँ...कोई कोरी कल्पना नहीं है मेरी लेखनी में, अगर है तो जीवन का सत्य.......बस यही है....."अस्तित्व"
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