कहाँ खो गयी...
वह लहक ,
वह महक ,
वह चहक ,
वह चमक,
वह ललक,
और;
वह झलक
कहाँ खो गयी?
वह लहक ,
वह महक ,
वह चहक ,
वह चमक,
वह ललक,
और;
वह झलक
कहाँ खो गयी?
जीवन-मरू में,
रह गयी है...
बस ख़ामोशी,
और तुम्हारी;
वह सरगोशी.
भूल गयी....
वह मदहोशी,
ख़त्म हो गयी;
अब बेहोशी.
जीवन में अब
बस बची है,
बस बची है,
तुम्हारी प्रतीक्षा;
और तुमसे
प्रीत के
बोलों की
वही
बोलों की
वही
पुरानी,
अपेक्षा..........
सुन्दर शब्दों में भाव प्रवाह.
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षा के क्षण मुश्किल हो जाते हैं !
जवाब देंहटाएंबढ़िया !
Samay ke sath bahut kuchh badalta hai, kuchh kabhi nahin badlta ....
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya di
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