गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

स्वतन्त्र भारत में भ्रष्टाचार का उदय ---भाग-1

स्वतन्त्र  भारत का पहला वित्तीय घोटाला…… वर्ष 1948
'' इंग्लैंड  से भारतीय सेना के लिए 155 जीपें खरीदी गयीं , जिसमें 80  लाख रुपये का घोटाला किया गया. इस घोटाले के  मुख्य सूत्रधार ''श्री वी. के. कृष्णामेनन'' थे। वर्ष1955  में ''श्री जवाहरलाल नेहरू जी'' ने इस घोटाले के पारितोषक के रूप में उन्हें अपने मंत्रिमण्डल  में शामिल कर लिया और घोटाले की  चल रही जांच को हमेशा के लिए बंद कर दिया। ……। काश! उसी वक्त भ्रष्टाचार के उस प्रथम अंकुर को कुचल दिया गया होता और कांग्रेस ने उसे और ना सींचा होता, तो आज एक भ्रष्टाचार (कोयला घोटाला) की कीमत 3 लाख 25 हज़ार करोड़ रूपये ना पहुँचती। आखिर यही तो है हर हाथ (कांग्रेस) शक्ति, हर हाथ (कांग्रेस) तरक्क़ी। ……
(साभार --गूगल एवं अन्य प्रकाशित लेख एवं पुस्तकें )

  

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