फिर से छा गयी होली...
मतवाली बयारों संग,
मन को भा गयी होली...
लाल-गुलाबी-नीला-पीला,
रंग उड़े है चारों ओर....
नाचे बाबा देवर बन के,
देखो नाचे जैसे मोर ...
खाके गुझिया चढ़ाकर भंग,
देखो डाले सबपे रंग..........
होली के हुल्लारे में,
भीगा सबका मन और अंग .....
भूले हर कोई अपना गम...
लग जाएँ गले एक-दूजे के,
छाए ऐसे होली हरदम.........
अबकी रंग लगाना सबको ऐसा,
कोई और न रंगत छाए,
मतलब से भरी इस दुनिया में
बस प्यार का रंग रह जाए......
छाए ऐसे होली हरदम.........
अबकी रंग लगाना सबको ऐसा,
कोई और न रंगत छाए,
मतलब से भरी इस दुनिया में
बस प्यार का रंग रह जाए......
उम्दा रचना है,आप को भी होली की बधाई :)
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता , होली की शुभकामनायें .....हैप्पी होली.....
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