गुरुवार, 29 नवंबर 2012

'' ऐ जिंदगी!''

बहुत संभाला है मुझको ऐ  जिंदगी तूने,
आ, आज तू मेरी बाहों का सहारा ले ले।

तेरे दामन में कितनी बार छुपके रोई हूँ,
आज तू मेरी मुस्कान का किनारा ले ले।

जब भी टूटी हूँ, तेरे सामने ही बिखरी हूँ,
समझ कर जी की मेरी; इक इशारा ले ले।

कितनी ही दफ़ा छूटी है मेरे हाँथों से तू,
चल, फिर मेरी हथेलियों का सूरज हो ले।

तू भी तो देख,, क्या सीखा है मैंने तुझसे,
साहिल जो कोई ढूँढ़े;तो सहारा मेरा ले ले। 

अब तो उस दौर को, पीछे छोड़ा है मैंने,
है मजाल किसी की; जो मुझको छल ले।

जो चाहूंगी मन से उसको पा ही जाऊंगी,
तय कर रही हूँ रास्ते; संग तेरी सीख ले।

आ,मिल के दोनों वक्त की लहरों से लड़ लें, 
थाम के तू ऊँगली मेरी चल, उस पार हो लें।


................डॉ रागिनी मिश्र ...........................

8 टिप्‍पणियां:

  1. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ ! बेहद सुन्दर प्रस्तुति । धन्यवाद ।
    मेरी नयी पोस्ट "10 रुपये के नोट नहीं , अब 10 रुपये के सिक्के" को भी एक बार अवश्य पढ़े ।
    मेरा ब्लॉग पता है :- harshprachar.blogspot.com

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  2. कितनी ही दफ़ा छूटी है मेरे हाँथों से तू,
    चल, फिर मेरी हथेलियों का सूरज हो ले।

    तू भी तो देख,, क्या सीखा है मैंने तुझसे,
    साहिल जो कोई ढूँढ़े;तो सहारा मेरा ले ले।

    लाजवाब लिखी हैं मैम!

    सादर

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  3. bahut sundar ...yah jidgi kitne dukhon ,gamon aur udasiyon ko samete hoti hai ...ek baar muskura kar to dekhe...

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  4. शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन

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  5. तू भी तो देख,, क्या सीखा है मैंने तुझसे,
    साहिल जो कोई ढूँढ़े;तो सहारा मेरा ले ले।

    अब तो उस दौर को, पीछे छोड़ा है मैंने,
    है मजाल किसी की; जो मुझको छल ले।

    wah bahut khoob .......aj ki sthiti me yhi hona chahiye ....abahr.

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  6. बहुत खूब ... जिंदगी के विभिन्न रंगों को उतारा इन शेरों में ...

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