सजन बहुरुपिया हमार .....
जबहि उठै बिस्तरवा से,
थाकि-थाकि जावत हैं,
उठ्तई बेरिया ही, तुरत
हमते पैर दब्वावातु हैं,
देखतै हमका पैर देत पसार
सजन अल्सैया हमार...............
सूट-बूट डांट कै,सेंट महकाय कै
जबही चले सजन आफिस का
जिउ धक्क्क-धक्क्क बोलत है
उनकै आसपास अप्सरा डोलत है
पहुंचत ही उहाँ, करत आंखे चार
सजन दिल्फेंक्वा हमार.........
कान के पास तै मोबाइल सटा रहे
मुह में पान केर बीड़ा अटा रहे
हमेसा ही ''हेल्लो'-''हेल्लो''बका करे
फोन करत बेरिया दूरे हटा करै
पहुँचते हमरे, आँख तरेरत बार-बार
सजन बकबकिया हमार.........
बच्चन की नाई 'dimand 'करा करै
बार-बार नै-नै फरमाइस करा करै
हमरे कुछु कहते ही मुह चुरावा करै
कुछु मंगते ही रिसियाए जावा करै
याद दिलवात ही हमरे ,झोंझाये सरकार
सजन मुह्नोच्वा हमार...
घर ते निकरत ही फ्रेश हुई जावत हैं .
हँसत-हँसत सबते बतियावत हैं
लौटत ही घर का .झूल-झूल जावत हैं
जानो, हंसी चौराहे पे धर आवत हैं
देखि उनका यह रूप रोइत हम जार-जार
सजन बहुरुपिया हमार।........
सजन बकबकिया हमार।...
सजन अल्सैया हमार।...
सजन मुहनोचवा हमार।.....
सजन दिल्फेंक्वा हमार।.............. ........
......................रागिनी..................
जबहि उठै बिस्तरवा से,
थाकि-थाकि जावत हैं,
उठ्तई बेरिया ही, तुरत
हमते पैर दब्वावातु हैं,
देखतै हमका पैर देत पसार
सजन अल्सैया हमार...............
सूट-बूट डांट कै,सेंट महकाय कै
जबही चले सजन आफिस का
जिउ धक्क्क-धक्क्क बोलत है
उनकै आसपास अप्सरा डोलत है
पहुंचत ही उहाँ, करत आंखे चार
सजन दिल्फेंक्वा हमार.........
कान के पास तै मोबाइल सटा रहे
मुह में पान केर बीड़ा अटा रहे
हमेसा ही ''हेल्लो'-''हेल्लो''बका करे
फोन करत बेरिया दूरे हटा करै
पहुँचते हमरे, आँख तरेरत बार-बार
सजन बकबकिया हमार.........
बच्चन की नाई 'dimand 'करा करै
बार-बार नै-नै फरमाइस करा करै
हमरे कुछु कहते ही मुह चुरावा करै
कुछु मंगते ही रिसियाए जावा करै
याद दिलवात ही हमरे ,झोंझाये सरकार
सजन मुह्नोच्वा हमार...
घर ते निकरत ही फ्रेश हुई जावत हैं .
हँसत-हँसत सबते बतियावत हैं
लौटत ही घर का .झूल-झूल जावत हैं
जानो, हंसी चौराहे पे धर आवत हैं
देखि उनका यह रूप रोइत हम जार-जार
सजन बहुरुपिया हमार।........
सजन बकबकिया हमार।...
सजन अल्सैया हमार।...
सजन मुहनोचवा हमार।.....
सजन दिल्फेंक्वा हमार।.............. ........
......................रागिनी..................
सबके सजन ऐसे ही होते हैं , ऐसा सभी स्त्रियाँ कहती हैं | अच्छी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंchaliye jijaji! aapne sweekar to kiya....
हटाएंलौटत ही घर का .झूल-झूल जावत हैं
जवाब देंहटाएंजानो, हंसी चौराहे पे धर आवत हैं
सभे घर-घर की कहानी यही होवत है .... :D
:):) रोचक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंघर ते निकरत ही फ्रेश हुई जावत हैं .
जवाब देंहटाएंहँसत-हँसत सबते बतियावत हैं
लौटत ही घर का .झूल-झूल जावत हैं
जानो, हंसी चौराहे पे धर आवत हैं
sach ye sajan to bahrupiya hi hai ...........:)
क्या बात है बहना , मेरे मन में कैसे झाँक लिया .......मस्त है !!!
जवाब देंहटाएं:)) apni baat kah di kya Ragini....
जवाब देंहटाएंamit jee ne sahi kaha:)
जवाब देंहटाएंकल 19/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
saawan kee mastee jhalak rahee hai , achchhee rachanaa
जवाब देंहटाएंसजनवा हमार सजनवा .....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रोचक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.....
:-)
sajan ke likhni bada jordaar...bada neek likhle bani
जवाब देंहटाएंलौटत ही घर का .झूल-झूल जावत हैं
जवाब देंहटाएंजानो, हंसी चौराहे पे धर आवत हैं!
घर घर की यही कहानी है :)
बहुत सुंदर लोक झंकार ...
जवाब देंहटाएंबहुतै बढ़िया लिखे हैं आप !! भाई वाह मज़ा आयि गवा !!
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