नशे की वजह हो तुम मेरे लिए,
नशे की दवा भी तुम मेरे लिए....
{१}
रात भी तुम, दिन भी तुम,
और दिन का आतप भी तुम,
ग़र धूप हो तुम;तो घनी धूप में,
सघन छाँव भी तुम मेरे लिए....
{२}
क्या कहूं कि क्या-क्या हो तुम,
ग़र हो तुम मेरे लिए तप्त मन;तो,
जीवन-मरू के इस तपते मन में,
शीतल चन्दन भी तुम मेरे लिए.....
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