मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

सिर्फ तुम से

 {१}

ग़लती ना होते हुए भी,

इलज़ाम लगाया तुमने;

और हर बात पे;बिन बात पे

मुझको रुलाया तुमने ....


हम तो सब भूल गए थे,

तेरी मुहब्बत के साए में;

पर ना जाने कौन सा ,

ये बदला चुकाया तुमने....

          {२}

अब तो उन हालातों पे भी 

रोना आ जाता है मुझको,

तेरे बानक से; तकदीर ने 

जो-जो दिखाया मुझको....



फिर से दे दे अपना हाथ;

तू खुद ही हाथों में मुझको,

कि, संग तेरे जिंदगी में;

आगे चलना है मुझको....


           {३}

जिंदगी की उदास  राहों से;

चुन लूंगी सारे गम के कांटे,

मैं तो  तेरी हर  राह  में, फूल 

बिछाने  की बात करती हूँ ....


जिंदगी में ना होगा कोई;

दर्द  ना  ग़म ना बेईमानी,

और  ना ही  कोई शिकायत 

तहेदिल से ये वादा करती हूँ ....

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