{१}
ग़लती ना होते हुए भी,
इलज़ाम लगाया तुमने;
और हर बात पे;बिन बात पे
मुझको रुलाया तुमने ....
हम तो सब भूल गए थे,
तेरी मुहब्बत के साए में;
पर ना जाने कौन सा ,
ये बदला चुकाया तुमने....
{२}
अब तो उन हालातों पे भी
रोना आ जाता है मुझको,
तेरे बानक से; तकदीर ने
जो-जो दिखाया मुझको....
फिर से दे दे अपना हाथ;
तू खुद ही हाथों में मुझको,
कि, संग तेरे जिंदगी में;
आगे चलना है मुझको....
{३}
जिंदगी की उदास राहों से;
चुन लूंगी सारे गम के कांटे,
मैं तो तेरी हर राह में, फूल
बिछाने की बात करती हूँ ....
जिंदगी में ना होगा कोई;
दर्द ना ग़म ना बेईमानी,
और ना ही कोई शिकायत
तहेदिल से ये वादा करती हूँ ....
rachana achchhi lagi ......jeevan ke khatte meethe anubhav ka darpan ....aabhar
जवाब देंहटाएंachchhi rachana
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