तुमसे बिछुड़कर शिकवा ना किया,
भरी महफ़िल में कभी रुसवा ना किया,
जब दर्द हुआ; हँस-हँस के सहा ,
दुनियावालों से बस यही कहा......
"ये लोग क्यों किसी पे मरते हैं
दिल में इतना दर्द क्यों भरते हैं
की बाखुशी अपना क़त्ल करवाके
इल्जाम भी खुद पे ही धरते हैं "
ग़म खुद का छुपा मुस्कराए हैं
हमने रिश्ते यूँ भी निभाए हैं ...........
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