सोमवार, 25 अप्रैल 2011

कहाँ खो गयी

कहाँ खो गयी
वह लहक ,
वह महक ,
वह चहक ,
वह चमक,
वह ललक,
और वह झलक
कहाँ खो गयी?


रह गयी है
बस ख़ामोशी,
और तुम्हारी;
वह सरगोशी,
भूल गयी
वह मदहोशी,
ख़त्म हो गयी;
वह बेहोशी.

जीवन में अब 
बस बची है,
तुम्हारी
प्रतीक्षा;
और तुमसे
वही 
पुरानी,
अपेक्षा..........

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