ऐ खुदा! बस मेरी इतनी ही दुआ असर करना
मेरे मन में हमेशा ही रोशनी का बसर रखना
रोना ही पड़ जाए गर जिंदगी में कभी; ...तो
अपने दोस्त(?) ही के कंधे पे सर रखना .. .
कश्ती और मांझी भी डुबो देते हैं मजधार में
तूफानों से खुद ही टकराने की तासीर रखना.
खुद ही भर जायेंगे सारे जख्म इक दिन; बस
उनको अपने-आप से भी छुपा के रखना...
खो ही जायेगा तुमसे एक दिन सब कुछ ..
बस इन हवाओं से अपने को बचा रखना......
जीवन की चका-चौंध में मिलेंगे बहुत सारे
पर मन का इक कोना मेरे लिए बचा रखना
रखना छुपाके खुद को दुनिया से लाख चाहे
पर कभी भी खुद को;.खुद से अलग ना करना
मंदिरों में तो बस मूरत ही मिला करती है
मन-मंदिर में ही भगवान बसा कर रखना
ऐ खुदा! बस मेरी इतनी ही दुआ असर करना
मेरे मन में हमेशा ही रोशनी का बसर रखना...........
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