सोमवार, 25 अप्रैल 2011

दुआ

ऐ खुदा! बस मेरी इतनी ही  दुआ असर  करना 
मेरे मन में हमेशा ही रोशनी का बसर   रखना

रोना ही पड़ जाए गर जिंदगी में कभी; ...तो 
अपने दोस्त(?) ही के कंधे पे सर रखना .. .

कश्ती और मांझी भी डुबो देते हैं मजधार में 
तूफानों से खुद ही टकराने की तासीर रखना.

खुद ही भर जायेंगे सारे जख्म इक दिन; बस
उनको अपने-आप से भी  छुपा के रखना...

खो ही जायेगा तुमसे एक दिन सब कुछ ..
बस इन हवाओं से अपने को बचा रखना......

जीवन की चका-चौंध में मिलेंगे बहुत सारे
पर मन का इक कोना मेरे लिए बचा रखना

रखना छुपाके खुद को दुनिया से लाख चाहे 
पर कभी भी खुद को;.खुद से अलग ना करना

मंदिरों में तो बस मूरत ही मिला करती है 
मन-मंदिर में ही भगवान बसा कर रखना 

ऐ खुदा! बस मेरी इतनी ही दुआ असर  करना 
मेरे मन में हमेशा ही रोशनी का बसर रखना...........

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