आओ तुम्हारी यादों को थोड़ा सा सवांर लूं,
जम गयी है धूल इनपे चलो इसे बहार लूं..........
समय की शिला के नीचे दबी हुई यादों को,
जीवन-संध्या की बेला में फिर से निकाल लूं.........
जिन्दगी की जद्दोजहद में; भूली उन यादों को,
फुर्सत के इन पलों में; ह्रदय में फिर पाल लूं........
............................रागिनी..................................
samvedana ke swar me chhata bikherti rachana achchhi lagi
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