बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

शादी की " expiery "

शादी की  " expiery "......शीर्षक पढ़कर अजीब सा लगा न!....लेकिन क्या करें, कल हमारी एक परिचित खूब सज-धजकर हमारे घर आयीं थीं..हमने उनसे यूँ ही पूछ लिया, "भाभीजी! भाईसाहेब नहीं आये"? वह ठठाकर हँस पड़ी और बोली, "क्या हमेशा साथ में ही आया-जाया जाता है? अरे! शादी की भी expiery  date होती है". उस समय तो मैं आवाक उन्हें देखती रह गयी लेकिन उनके जाने के बाद सोचा, " अरे! जैसे शादी कोई  product हो, जिसकी expiery  हो? लेकिन अगले ही पल दिमाग ने कहा,  गलत ही क्या कह रही थी.......भई!  शादी-शुदा जिंदगी में हमेशा एक सा मामला तो रहता नहीं, बदलाव तो आ ही जाते हैं. लेकिन 'expiry '? नहीं.... यहाँ भी परिवर्तन लाया जाना चाहिए..'best before '....यह ठीक रहेगा..




 तो अब आप जब भी किसी की शादी का निमंत्रण-पत्र  पायें तो समझ लें कि किसी product का विज्ञापन है..जिसमें शादी कि तिथि उसकी manufacturing date है और जिसमें 'best before' invisible .....लेकिन है अवश्य .

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

जीने की कला ....oolong tea

आज आप सबके साथ बचपन में अंग्रेजी में पढ़ी एक कहानी share करना चाहती हूँ.....'oolong tea '.....यदि अच्छी लगे तो अपने अमूल्य विचार अवश्य व्यक्त करियेगा........


एक बार की बात है. एक लड़की अपनी माँ के पास अत्यंत उदास भाव से आकर बोली..."माँ! मेरे जीवन में जैसे समस्याओं की झड़ी लगी हुई है, एक समाप्त नहीं होती कि दूसरी मुँह बाए सामने आकर खड़ी हो जाती है. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं किस प्रकार इनका सामना करूँ? कभी-कभी तो मेरा मर जाने का मन करता है..अब जीवन से राग भी समाप्त होता जा रहा है, लगता है जैसे पत्थर हो गयी हूँ..अब मुझसे स्थिति  नहीं संभाली जाती है. मैं क्या करूँ?"....................

बेटी की बात सुनकर माँ अत्यंत धीरज के साथ उसके सर पे हाँथ फेरती हुई उसे रसोईघर की ओर ले चली..वहां उसने गैस के तीनों चूल्हे जलाकर तीन भगोने में तेज आँच पर पानी चढ़ा दिया..जैसे ही पानी उबलने लगा उसने एक भगोने में गाजर, दूसरे में अंडे और तीसरे में उलोंग चाय डाल दिया  और बिना एक भी शब्द बोले चुपचाप वहीँ बैठ गयी.........

लगभग बीस मिनट बाद उसने गैस बंद कर दी और एक कटोरी में गाजर, दूसरी में अंडे और तीसरी में चाय रखकर अपनी बेटी से पूछा.."तुमने क्या देखा?"

"गाजर,अंडे और चाय"...उसने जवाब दिया.

उसकी माँ उसके पास गाजर की कटोरी लेकर आई और उसे छूने के लिए कहा..उसने छूकर देखा की गाजर एकदम मुलायम हो चुकी है..अब उसकी माँ ने उसको एक अंडे को छीलने  के लिए कहा..उसने पाया कि छिलके के अन्दर अंडा द्रव से कठोर हो चुका है ..

अंत में उसकी माँ नें उसे उलोंग चाय पीने के लिए कहा ...उस चाय कि खुशबू और स्वाद से उसके उदास चेहरे पर एक मुस्कराहट तैर गयी, उसे उसका स्वाद बहुत अच्छा लगा ..चाय का घूँट भरकर उसने अपनी माँ से पूछा, 'माँ इन सबका क्या मतलब है? कृपया मुझे बताइए?"

माँ अत्यंत अर्थपूर्ण मुस्कराहट के साथ बोली,"बेटी! तुमने देखा की गाजर,अंडे और उलोंग ; तीनों ने ही एक जैसी ही  परिस्थिति का सामना किया..तीनों ने खौलते पानी को महसूस किया, लेकिन तीनों की प्रतिक्रिया  भिन्न थी ...."गाजर"...जो बड़ी कड़ी और मजबूत नज़र आ रही थी; खौलते पानी में पड़कर वह नरम और धीरे-धीरे लुचलुचा गयी,.........वहीँ "अंडा"....जो ज़रा सी असावधानी से  बेकार हो जाता है, उसका बाहरी कठोर  आवरण उसके अन्दर के द्रव को संभाले रखता है; वह खौलते पानी में पड़कर अन्दर से एकदम कड़ा हो गया और उसका छिलका नरम.........लेकिन उलोंग चाय तो सबसे अलग थी . जैसे ही खौलते पानी के संपर्क में वह आई उसने पानी का रंग ही बदल दिया, उसका स्वाद बाधा दिया और अपनी खुशबू चारों तरफ वातावरण में फैला दी" ......

"अब तुम बताओ कि  जीवन में समस्यां  आने पर तुम कैसे व्यवहार करोगी  .....गाजर,अंडा या उलोंग जैसा"?

लड़की स्वयं को अंडे की जगह रखकर सोचती है कि यदि मैं गाजर जैसे व्यवहार करूंगी तो मुसीबतों का सामना करते ही  एक दिन अत्यंत कमजोर  हो जाउंगी  और अपनी आन्तरिक शक्ति गवां बैठूंगी .और बाहर से भी एकदम कमजोर दिखने लगूंगी.....

यदि मैं  अंडे  जैसे नरम दिल  ही रहती हूँ तो जीवन में  सब अच्छा है, लेकिन  जैसे ही मुसीबतें ,बीमारी या पैसे की  तंगी आएगी  तो मैं  बाहर से तो वैसे ही दिखूंगी  , लेकिन अन्दर ही अन्दर एकदम कठोरह्रदय हो जाऊंगी और अन्दर की जिजीविषा,नरमता समाप्त हो जाएगी .....

और यदि मैं उलोंग जैसे रहती हूँ तो जीवन में आने वाली तकलीफों को अत्यंत सकारात्मक ढंग से लूंगी..और समस्याओं का सामना ख़ुशी -ख़ुशी कर सकूंगी ....हर नकारात्मकता को सकारात्मकता से ले सकूंगी..जीवन जीने के लिए है ..लेकिनं जीना एक कला है...जैसे चाय खौलते पानी में उबल-उबलकर अपनी खुशबू से दूसरों को आकर्षित कर लेती है और लोग  उसको पिए बिना नहीं रह पाते  उसी प्रकार जीवन में तकलीफों के मध्य जो अपनी जिजीविषा को नहीं छोड़ता है लोग उसी का सम्मान करते हैं;स्नेह देते हैं....

वह लड़की सब कुछ समझ जाती है और ख़ुशी-ख़ुशी अपनी माँ से कसकर लिपट जाती है ..सच है जीवन में हर समय खुशियाँ ही खुशियाँ हो ये संभव नहीं लेकिन हम अपनी आन्तरिक ताकत और गुणों से दुखों  को ख़ुशी-ख़ुशी सहन तो कर ही सकते हैं और दूसरों को भी खुश रख सकते हैं..जीवन अनमोल है..जिसे हँसते हुए जीना चाहिए न कि रोते हुए .....तभी तो जब हम अंतिम यात्रा पर आँख बंद किये मुस्करा रहे होंगे तब हमारे चारों तरफ लोग हमारी बात करके रो रहे होंगे......

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

तुम्हें क्या-क्या बना दूं....

तुम अभी 10th  का exam  देने जा रहे हो..रात-दिन बस तुम्हारे ही बारे में सोचती रहती हूँ..जीवन में जैसे बस तुम्ही रह गए हो आजकल..तुम कैसे पढ़ो कि; तुम्हारे अच्छे marks  आ जाएँ..आगे कौन सी line  में जाना है..तुम कौन सा carrier चुनोगे..तुम क्या बनोगे.. तुम्हें maths  में रूचि नहीं; 'हाय राम! अब क्या होगा?' बिना गणित तुम क्या करोगे? उसकी field तो बहुत बड़ी है. फिर? अच्छा तुम biology  लेना चाहते हो..चलो ठीक है..अब तो तुम्हारे पास सीमित field है...चलो ऐसे तैयारी करो कि 10th  में 100 % तो ले ही आओ..अच्छा चलो थोडा discount ...लेकिन पढ़ो तो!.......

अच्छा!!! अगर तुम डॉक्टर बनना चाहते हो तो कौन सा interance  exam  दोगे?.. कौन सी को coaching  में डालू तुम्हे?  उफ़! कौन से डॉक्टर बनोगे? orthopedic ? हाँ! ये सही रहेगा...मुझे हड्डियों की बहुत problem  है...

फिर सोचती हूँ कि क्या इतनी मेहनत कर पाओगे ? इतने नाज़ुक से मेरे लाडले हो....अच्छा ऐसा करती हूँ कि तुम्हे कुछ और बना देती हूँ, जैसे "lecturer "....हाँ! यह  थोड़ी आराम की नौकरी रहेगी...तुम्हे music  का भी शौक है...इस नौकरी के साथ वह भी पूरा हो जाएगा ...लेकिन पढ़ो तो सही...अच्छे marks  आयेंगे तभी तो आगे कुछ होगा...

एक अकेले तुम......... तुम्हे जाने क्या-क्या बना देना चाहती हूँ....सिर्फ मैं ही तुम्हे नहीं बल्कि हर तुम्हारी age -group  वाले बच्चे की माँ शायद इस समय इसी सपने को देख रही है, क्योंकि तुम्ही लोग हो हमारा सम्मान हो .हमारा 'अस्तित्व' हो ...तुमसे कुछ माँग थोड़े ही रही हूँ.तुम तो दोगे ही ये सम्मान..कुछ भी बनो अपनी ईमानदारी और मेहनत से बनो ..हम हमेशा तुम्हारे साथ हैं...