एक दौर तो वो भी गुज़रा है, जब नीम भी मीठी लगती थी,
एक समय तो ये भी आया है, जब चीनी फीकी लगती है.......
जो ख्वाब की दुनिया जीते थे, अब स्वप्न-सरीखे लगते हैं,
जो छलकाते थे नयन प्रेम-रस, वो रीते-रीते लगते हैं.......
जो कदम तुम्ही तक जाते थे, जाने अब कब से ठहरे हैं....
जो नज़र तुम्ही पर रूकती थे, उन पर अब कितने पहरे हैं...
सोचा ना था तब; ख्वाबों में , ऐसा भी कभी हो जायेगा
जाना ना था; जो है मेरा, कल यूँ ही वह खो जायेगा ....
इस प्रणय-मिलन की बेला में, हैं रहते केवल पल-दो-पल
देकर मधुमय स्वप्न-फलक, अगले पल सब देते चल.....
इस परिवर्तन के क्रूर शिकंजे से, अब तक कौन बचा जग में,
जो आया; वो गया है निश्चित , सबको नापा इसने इक पग में .....
अपने जीवन से खोकर तुमको , मैंने अब सत्य ये जाना है
ये विरह; मिलन के कारण है, अब सबको ये समझाना है .......
मिलना केवल उस प्रियतम से ही तो; चिर मिलन होगा
घुल-मिल जाऊँगी उसमे, खोंना -पाना ना तब होगा .......
.................................रागिनी........................
एक समय तो ये भी आया है, जब चीनी फीकी लगती है.......
जो ख्वाब की दुनिया जीते थे, अब स्वप्न-सरीखे लगते हैं,
जो छलकाते थे नयन प्रेम-रस, वो रीते-रीते लगते हैं.......
जो कदम तुम्ही तक जाते थे, जाने अब कब से ठहरे हैं....
जो नज़र तुम्ही पर रूकती थे, उन पर अब कितने पहरे हैं...
सोचा ना था तब; ख्वाबों में , ऐसा भी कभी हो जायेगा
जाना ना था; जो है मेरा, कल यूँ ही वह खो जायेगा ....
इस प्रणय-मिलन की बेला में, हैं रहते केवल पल-दो-पल
देकर मधुमय स्वप्न-फलक, अगले पल सब देते चल.....
इस परिवर्तन के क्रूर शिकंजे से, अब तक कौन बचा जग में,
जो आया; वो गया है निश्चित , सबको नापा इसने इक पग में .....
अपने जीवन से खोकर तुमको , मैंने अब सत्य ये जाना है
ये विरह; मिलन के कारण है, अब सबको ये समझाना है .......
मिलना केवल उस प्रियतम से ही तो; चिर मिलन होगा
घुल-मिल जाऊँगी उसमे, खोंना -पाना ना तब होगा .......
.................................रागिनी........................
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंइस प्रणय-मिलन की बेला में, हैं रहते केवल पल-दो-पल
जवाब देंहटाएंदेकर मधुमय स्वप्न-फलक, अगले पल सब देते चल.....
बहुत सुन्दर.....
मिलना केवल उस प्रियतम से ही तो; चिर मिलन होगा
जवाब देंहटाएंघुल-मिल जाऊँगी उसमे, खोंना -पाना ना तब होगा .......
bahut sunder rachna
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंइस परिवर्तन के क्रूर शिकंजे से, अब तक कौन बचा जग में,
जवाब देंहटाएंजो आया; वो गया है निश्चित , सबको नापा इसने इक पग में .....
बिलकुल सच्ची बात लिखी हैं मैम !
सादर
वाह जी अच्छा लिखा है
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब जी
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 30-08 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....देख रहा था व्यग्र प्रवाह .
bahut prabal ....sashakt aur saarthak rachna ...!!
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen ..
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजो कदम तुम्ही तक जाते थे, जाने अब कब से ठहरे हैं....
जवाब देंहटाएंजो नज़र तुम्ही पर रूकती थे, उन पर अब कितने पहरे हैं...
अच्छी लगी ..खास तौर पे ये पंक्तियाँ
सोचा ना था तब; ख्वाबों में , ऐसा भी कभी हो जायेगा
जवाब देंहटाएंजाना ना था; जो है मेरा, कल यूँ ही वह खो जायेगा ....
ये तो जीवन की रीत है ... जो आज अपना है उसको तो खोना ही है ...
लाजवाब शेर हैं सभी ...
badi hi sundar rachna hai aapki
जवाब देंहटाएंआप अच्छा लिखती हैं। पहली बार आना हुआ। इसमें मुझे कुछ सूफ़ियाना अंदाज़ दिखा। आत्म से अध्यात्म का सफ़र!!
जवाब देंहटाएंकविता का प्रवाह प्रशंसनीय है।
सुंदर रचना है रागिनी जी !
जवाब देंहटाएंरचना लयबद्ध और प्रभावी है ...
जवाब देंहटाएंआभार रागिनी जी !
prem ki trishna jb apni parakashtha se utar ki or jati hai to adhyatm ka uday ho hi jata hai ......bahut khoob soorat rahcana ise punh blog pr prkashit karen
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