बहुत संभाला है मुझको ऐ जिंदगी तूने,
आ, आज तू मेरी बाहों का सहारा ले ले।
तेरे दामन में कितनी बार छुपके रोई हूँ,
आज तू मेरी मुस्कान का किनारा ले ले।
जब भी टूटी हूँ, तेरे सामने ही बिखरी हूँ,
समझ कर जी की मेरी; इक इशारा ले ले।
कितनी ही दफ़ा छूटी है मेरे हाँथों से तू,
चल, फिर मेरी हथेलियों का सूरज हो ले।
तू भी तो देख,, क्या सीखा है मैंने तुझसे,
साहिल जो कोई ढूँढ़े;तो सहारा मेरा ले ले।
अब तो उस दौर को, पीछे छोड़ा है मैंने,
है मजाल किसी की; जो मुझको छल ले।
जो चाहूंगी मन से उसको पा ही जाऊंगी,
तय कर रही हूँ रास्ते; संग तेरी सीख ले।
आ,मिल के दोनों वक्त की लहरों से लड़ लें,
थाम के तू ऊँगली मेरी चल, उस पार हो लें।
................डॉ रागिनी मिश्र ...........................
आ, आज तू मेरी बाहों का सहारा ले ले।
तेरे दामन में कितनी बार छुपके रोई हूँ,
आज तू मेरी मुस्कान का किनारा ले ले।
जब भी टूटी हूँ, तेरे सामने ही बिखरी हूँ,
समझ कर जी की मेरी; इक इशारा ले ले।
कितनी ही दफ़ा छूटी है मेरे हाँथों से तू,
चल, फिर मेरी हथेलियों का सूरज हो ले।
तू भी तो देख,, क्या सीखा है मैंने तुझसे,
साहिल जो कोई ढूँढ़े;तो सहारा मेरा ले ले।
अब तो उस दौर को, पीछे छोड़ा है मैंने,
है मजाल किसी की; जो मुझको छल ले।
जो चाहूंगी मन से उसको पा ही जाऊंगी,
तय कर रही हूँ रास्ते; संग तेरी सीख ले।
आ,मिल के दोनों वक्त की लहरों से लड़ लें,
थाम के तू ऊँगली मेरी चल, उस पार हो लें।
................डॉ रागिनी मिश्र ...........................