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के बुद्धिजीवियों!
अपनी ईर्ष्या के चलते अपने लहँगे से तो अपना मुँह ना ढाँपो। कल सारे दिन एक न्यूज़ चैनेल fb पर भी चलता रहा। मेरे पुरुष मित्र तो अपनी गरिमा में रहे लेकिन कुछ महिला मित्रों ने अपनी नफरत की आग में जलते हुए वो मोर्चा खोला कि अपनी देश की गरिमा, संस्कृति (अतिथि देवो भव) और देश प्रेम तक को ताक पर रख दिया। 'मोदी ने चाय बनाई', 'वो गले मिले', 'मोदी पत्नी के साथ नहीं', 'उन्होंने कुर्ता नहीं पहना', 'आगरा चैन में', '26 जनवरी को झमाझम बारिश हो जाए', 'क्या मंदिर जाएंगे'.............और भी जाने क्या क्या और उन स्टेटस पर कमेन्ट भी आये जलकुकड़े लोगों के ही। यह बात पाकिस्तान या चीन के लोग कहें तो जायज़ है लेकिन जब हिन्दुस्तानी ही यह सोचने लगें कि आज बारिश हो जाए और गणतंत्र दिवस का सारा कार्यक्रम सत्यानाश हो जाए तो यह वाकई सोचनीय स्थिति है। यह बात भी सब लोगों को पता है कि हमारे यहाँ मेहमान जान से भी प्यारा होता है लेकिन क्या करें? …… कांग्रेसी शासनकाल में पता थी लेकिन अब तो जलते जलते बुद्धि भी जल गयी है.…। सोचने समझने की ताकत सब मोदी में लगा दी है। अच्छा! उस पर कमाल यह कि,एक बुज़ुर्गवार ने 15 अगस्त के लिए कहा था ''अब कल हम लॉन्ग ड्राइव पर चले जाएंगे। … कौन देखेगा लालकिला?'' लेकिन चिपके टीवी से ही रहें और लगातार updates देते रहे। इस सरकार के आने के बाद सूखा पड़ा तो मेरे एक मित्र ने लिखा, 'वाह प्रभु! तुम भी विरोध में, मस्त'' …… अरे दोस्तों! देश हमारा है , इसका बारिश सूखा हम सबको प्रभावित करेगा। राजनीतिक नफ़रत छोड़ो, प्रेम से रहो और गणतन्त्र दिवस की बधाई स्वीकार करो। मैं चली अपने विद्यालय के प्यारे प्यारे बच्चों के पास क्योंकि लाख तूफान आये, वो उतनी ही गर्मजोशी के साथ अपने देश का गणतंत्र दिवस मनायेंगे जितनी गर्मजोशी से एक भारतीय को मनाना चाहिये …'चाहे सरकार किसी भी पार्टी हो' ……''जय हिन्द''
के बुद्धिजीवियों!
अपनी ईर्ष्या के चलते अपने लहँगे से तो अपना मुँह ना ढाँपो। कल सारे दिन एक न्यूज़ चैनेल fb पर भी चलता रहा। मेरे पुरुष मित्र तो अपनी गरिमा में रहे लेकिन कुछ महिला मित्रों ने अपनी नफरत की आग में जलते हुए वो मोर्चा खोला कि अपनी देश की गरिमा, संस्कृति (अतिथि देवो भव) और देश प्रेम तक को ताक पर रख दिया। 'मोदी ने चाय बनाई', 'वो गले मिले', 'मोदी पत्नी के साथ नहीं', 'उन्होंने कुर्ता नहीं पहना', 'आगरा चैन में', '26 जनवरी को झमाझम बारिश हो जाए', 'क्या मंदिर जाएंगे'.............और भी जाने क्या क्या और उन स्टेटस पर कमेन्ट भी आये जलकुकड़े लोगों के ही। यह बात पाकिस्तान या चीन के लोग कहें तो जायज़ है लेकिन जब हिन्दुस्तानी ही यह सोचने लगें कि आज बारिश हो जाए और गणतंत्र दिवस का सारा कार्यक्रम सत्यानाश हो जाए तो यह वाकई सोचनीय स्थिति है। यह बात भी सब लोगों को पता है कि हमारे यहाँ मेहमान जान से भी प्यारा होता है लेकिन क्या करें? …… कांग्रेसी शासनकाल में पता थी लेकिन अब तो जलते जलते बुद्धि भी जल गयी है.…। सोचने समझने की ताकत सब मोदी में लगा दी है। अच्छा! उस पर कमाल यह कि,एक बुज़ुर्गवार ने 15 अगस्त के लिए कहा था ''अब कल हम लॉन्ग ड्राइव पर चले जाएंगे। … कौन देखेगा लालकिला?'' लेकिन चिपके टीवी से ही रहें और लगातार updates देते रहे। इस सरकार के आने के बाद सूखा पड़ा तो मेरे एक मित्र ने लिखा, 'वाह प्रभु! तुम भी विरोध में, मस्त'' …… अरे दोस्तों! देश हमारा है , इसका बारिश सूखा हम सबको प्रभावित करेगा। राजनीतिक नफ़रत छोड़ो, प्रेम से रहो और गणतन्त्र दिवस की बधाई स्वीकार करो। मैं चली अपने विद्यालय के प्यारे प्यारे बच्चों के पास क्योंकि लाख तूफान आये, वो उतनी ही गर्मजोशी के साथ अपने देश का गणतंत्र दिवस मनायेंगे जितनी गर्मजोशी से एक भारतीय को मनाना चाहिये …'चाहे सरकार किसी भी पार्टी हो' ……''जय हिन्द''