रविवार, 10 फ़रवरी 2013

मेरा मस्त मनोहारी वैलेंटाइन सप्ताह

वैलेंटाइन सप्ताह  चल रहा है। रोज़ ही नए -नए सन्देश फेसबुक पर चस्पा हो रहे हैं। मैंने भी अबकी सोचा, चलो कुछ किया जाए। तो बस हम दोनों घूमने निकल पड़े। यूँ ही सड़के नापते-नापते पहुंच गए लखनऊ के मोहन रोड स्थित 'स्पर्श'.....नेत्रहीनों के विद्यालय। class 1st  से 12th  वाले, लगभग 100 छात्रों की संख्या वाले इस सरकारी विद्यालय में N.S.S. का कैंप चल रहा था और बच्चे संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे थे। दूर से सुनने पर ऐसा लगा मानों कोई बढ़िया recording बज रही है लेकिन वह live  performance थी और वह  भी नेत्रहीन; छोटे-छोटे बच्चों की। इतना बढ़िया संगीत का ज्ञान, वाद्य-यंत्रों की सूझ ....मन सम्मोहित हो गया मानों। कार्यक्रम के बाद उनसे बात की। बहुत अच्छा  लगा। शाम होने लगी थी। उनको अपने हॉस्टल जाना था लेकिन हम उनके साथ और समय बिताना चाहते थे। उनके साथ मस्ती करना चाहते थे। बच्चे भी हम जैसे मस्त-मौला लोगों से मिलकर खुश हो गए। तो हमने, बच्चो तथा उनके वार्डन ने मिलकर तय किया कि  sunday का लंच हम साथ करेंगे।  उनका लंच का समय और हमारे breakfast का समय एक ही .....यानि उन बच्चों को 24 घंटे में सिर्फ दो बार खाने को मिलता था सुबह 8.30 और रात को 8.00 बजे। मन द्रवित हो उठा। उन बच्चों से उनकी पसंद पूछकर वार्डन से अनुमति लेकर sunday को उनका लंच हमने करवाने का निर्णय लिया। सारा राशन शनिवार को पहुँचा दिया और आज सुबह-सुबह हम भी पहुँच गए। उनका रसोइया पाक-कला में बहुत ही निपुण था। खाना उसने बहुत ही अच्छा बनाया  था। बच्चे इतने अनुशासित; कि मन आनंदित हो उठा। दो दिन पहले हुई एक घंटे की मुलाकात से ही उन्होंने हमें हमारी एक आवाज़ से पहचान लिया। उन्होंने खाने से पहले हमारे लिए एक संगीत का छोटा सा आयोजन कर डाला। हम उनके इस भाव से बिक गए उनके हांथों। हमारे बच्चे होते और खाने की खुशबू उनके नाक में जा रही होती तो वो क्या इस तरह हमारे लिए कुछ सोचते? बस, मन में यही भाव आ गया। प्रभु जब एक इंद्रिय छीन लेता है तो उसके स्थान पर बहुत कुछ नवाज़ देता है, आज उन बच्चों को देखकर इस बात का यकीन हो गया। मोबाइल पर उनकी उँगलियाँ कुछ इस तरह चल रही थी मानों बहुत सुन्दर नृत्य चल रहा हो। सारे नंबर याद भी थे और वह बड़े ही आराम से उसे डायल भी कर रहे थे, मेरे पूछने पर उसने बड़े ही आराम से कांटेक्ट लिस्ट में से सर्च करके भी दिखा दिया। हम सभी आश्चर्यचकित।


मोबाइल में नंबर निकालते आजम 
कपडे और जूते चमकाते रमेश, कमल और एक अन्य बच्चा 
विवेकजी से बात करते बच्चे 

क्लास 10th का 'आजम', प्यार का नाम 'अमन'.... उससे मिलकर लगा जैसे  oxford के student से बात कर रहे हों। इतनी बढ़िया अमेरिकन स्टाइल और परफेक्ट ग्रामर के साथ english में बात कर रहा था कि बस। मुझे लगा इस सरकारी स्कूल में ऐसा कैसे संभव है? उसने बताया कि मोबाइल पर नेट के थ्रू lessons से उसने सुन-सुनकर सीखा। और क्लास 11th का  'अनुज', वह तो जैसे पूरे स्कूल की जान हो। उसके बिना कोई काम नहीं चल सकता। पढने में अव्वल, क्रिकेट में चैंपियन, गीत-संगीत में महारथी। इतने सहज भाव से योग करके उसने दिखाया जैसे कोई सामान्य व्यक्ति  हमें सिख रहा हो और हमारे चेहरे के भाव भी देख रहा हो। रमेश  अपने कपडे के जूते नल पर धो रहा था और कमल  अपनी शर्ट। वह अपनी शर्ट पर की गंदगी अपने उँगलियों से महसूस करके उस पर साबुन लगा रहा था और उसको रगड़ रहा था, रमेश कह रहा था, ''कल field  में मेरे जूते ही चमक मारेंगे' ....कमल हँसते हुए कह रहा था, ''अबे! मेरी शर्ट सबसे ज्यादा चमकेगी, कितना मस्त धो रहा हूँ ''......सुनकर मेरी आँखों में आँसू आ गए कि जिन बच्चों ने जीवन में कभी चमक नहीं देखी  वह कपड़ो और जूतों को चमका  रहे हैं और कितना खुश हैं। सलाम किया उनके आत्मविश्वास  को। सभी बच्चों ने खाने से पहले हमें thanks बोल और अत्यंत अनुशासित ढंग से खाने के लिए बैठ गए। हमने उन्हें अपने हांथों से परसकर खाना खिलाया। उनके तृप्त भाव को देखकर मन अत्यंत गदगद हो उठा था। उन सबको खिलाकर हमने भी वहीँ उनके साथ ही खाया। उनके वार्डन 'पांडेयजी' अत्यन्त मधुरभाषी और व्यवहारकुशल व्यक्ति थे . बच्चों के साथ उनका सम्बन्ध बिलकुल माँ -बेटे की भांति ही दिखा।
वार्डन 'पांडेयजी'
अनुशासित ढंग से खाना खाते नेत्रहीन बच्चे 



'अनुज',  'आजम'  और मैं 
हम पति-पत्नी दोनों ही बहुत खुश थे। घर लौटना भी जरूरी था तो उनसे विदा लेकर और जल्दी ही मिलने का वादा करके हम खुश-ख़ुशी घर लौट आये। आज पहली बार लगा कि 'वैलेंटाइन सप्ताह' की शुरुआत हो गयी। 

9 टिप्‍पणियां:

  1. यहाँ भी प्रेम बनता जाय...अच्छा लगा जानकर

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  2. bahut hi achha kaam kiya aapne ye hai sahi tareeke se apna pyar izhar karna ka tareeka kisi ko ham 2 pal ki khushi de de to usse achha kuch nahi hota hai jeevan mein

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  3. Apne liye to sab jeete hain,kabhi kisi doosre ke liye bhi koi kaam karo to uski khusi kuchchh aur hi hoti hai.....very nice.






    :

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  4. मन भर आया पढ़ कर....
    आपके प्रयास और सोच पर प्यार आया.
    happy valentine day
    <3

    अनु

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  5. सुन्दर प्रयास | 'साथी हाथ बढ़ाना एक अकेला थक जायेगा मिलकर कदम बढ़ाना' | आभार और बधाई |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  6. बहुत अच्छा लगा पढ़ कर और जानकर !


    सादर

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  7. Didi ji aapka pyar aur sneh dekhker to man bhar aaya.............bahut accha laga padkar aur ye jaankar ki aap samajik gatividihiyon me bhi is tareh kiruchi rakhtihai ..............pranam...........ye aapka asli valentine week hai :)

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