शनिवार, 13 अप्रैल 2013

कब तक होता रहेगा नारी का अपमान?

आज एक बार फिर अपने स्त्री होने पर बहुत गुस्सा और दुःख हुआ। हुआ यूँ कि; आज सुबह करीब ६ बजे अपनी कॉलोनी के पार्क में सैर कर रही थी, उस समय हम दो औरतें ही पार्क में चक्कर लगा रहे थे। अचानक एक लड़के ने पार्क बाहर एक कोने पर अपनी लाल रंग की 'activa' खड़ी करी और बाहर ही चक्कर लगाने लगा। उसकी उम्र कोई २०  या २ २ साल की रही होगी। हम लोगों ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपनी exercise में लगे रहे।  वहीँ पर एक कोचिंग भी है जिसमे ५. ३ ० बजे से ही बच्चे पढने आने लगते हैं . मैंने भी उसे एक स्टूडेंट ही समझा। वह पार्क से बाहर लटक रही डाली से फूल तोड़कर पन्नी में रख रहा था। चक्कर लगाने के दौरान  जैसे ही पार्क के उस कोने पर मैं पहुँची जिधर बाहर वह खड़ा हुआ था कि  अचानक उसने बाहर से ही अपने को 'मर्द' कहलाने  वाले अंग से अश्लील हरकत करना शुरू कर दिया और बहुत ही गंदे शब्दों में कुछ इंगित किया। एक पल को तो मानों मेरे शरीर का सारा खून जम गया और मैं धरती से चिपक सी गयी, लेकिन अगले ही पल मेरा 'चंडी' रूप जाग गया और मैं  चिल्लाती हुई और लगभग दौड़ती हुई उसके पास पहुँची कि  वह activa  स्टार्ट कर भाग गया। वह आज मेरे हाँथ आने से रह गया। उसको पीट लेती तो शायद यह न लिखती लेकिन ....एक मलाल लिए मैं घर तो लौट आई, सबको पूरा वाकया बताया, अपने लड़को को नसीहत भी दी लेकिन एक आक्रोश इस समय तक बरकरार है। यहाँ तक कि  आज मैं पूजा भी ढंग से न कर पाई  और देवी माँ  की फोटो सामने होने के बावजूद बार-बार उस लड़के का चेहरा और उसका फूल तोड़ता हाँथ और फिर उन्ही हांथों से .....................उसका इशारा। हे देवी माँ! अब तो शांत ना रहो, ऐसे समाज के दुश्मनों को कुछ तो सबक सिखाओ।  आज फिर से याद आ रहा है दामिनी का वह वाक्य ,''उन दरिंदों को जिन्दा जला देना'......अगर अब भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो ऐसे गंदे लोगों के हौंसले बुलंद होते ही रहेंगे और समाज में किसी की भी माँ -बहन -बेटी सुरछित और सम्मानित नहीं रह सकेंगी।http://www.blogger.com/blogger.g?blogID=2116586550283842629#editor/target=post;postID=2168194854809558345
                               
                   ..........................  डॉ . रागिनी मिश्र ......................

37 टिप्‍पणियां:

  1. jab talak nari ke mazboot nahi honge,aur hath me khanzr nhi honge bat sirf mazboot erado ki hai

    जवाब देंहटाएं
  2. दी यही हकीकत है इसलिए जब लड्कीया होती है तो मातम मनाया जाता है

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत आम बात है....कड़ा सबक मिले तब अक्ल आएगी.....

    गुस्सा भी आता है....दुःख भी होता है..

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. जब भी ऐसी किसी घटना के बारे में सुनता हूँ तो सच मानिये अपने ऊपर शर्म आती है|
    उस लड़के को तो मैं नहीं जानता लेकिन (उसी 'मर्द' कहलाने वाली कौम का होने के नाते) आपसे माफ़ी चाहता हूँ |

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. ये लडके कैसे परिवार से आते हैं :-(

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Arvind Mishra bhai saheb! parivaar to pata nahin lekin haan sanskaar zaroor neech hote hain aise ladkon ke....

      हटाएं
  6. इस कुत्सित मानसिकता को ये लोग बीमारी नहीं मानते ....पर ऐसे मनोरोग का ईलाज जरूरी है सोचिये वे बच्चियां जो कोचिंग जाते वक़्त इसे झेलती होंगी ....!!
    बहुत जरूरी है कि कोचिंग administrator से बात कर सादे वर्दी में पुलिस तैनात करवा दी जाए

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. jee Vandanaji! maine bataya coaching jaakar....unhone ab park ke pass ek guard baitha diya hai....tnx

      हटाएं
  7. कुत्सिक मानसिकता और कुत्सित यौनेक्षा की घृणित तस्वीर दिखाई उस नाली के कीड़े ने . काश वो पकड़ में आ जाता .

    जवाब देंहटाएं
  8. I’m sure every girl can relate to this ...... It is now essentially required to change the outlook of males … after all efforts, modernisation n education the cheap n shameful attitude has not even reduced to a negligible difference......moreover... our government is d part of the problem rather than the solution.

    जवाब देंहटाएं
  9. शर्म की बात है ... ऐसी लड़कों के लिए कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए ... सहमत हूं वंदना जी के सुझाव से ...

    जवाब देंहटाएं
  10. रागिनी जी समस्या वाकई बहुत गंभीर रूप ले चुकी है ........हमें अब समस्या की जड़ पर ही प्रहार करना चाहिए ...पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण ही एक निर्लज्ज समाज की स्थापना कर रहा है । आज के दौर में मैंने देखा है की अभिभावकों के फ़ोन में नग्न नारी की तश्वीरें व फिल्मे भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहतीं हैं वे तश्वीरें कभी न कभी युआ एवम बाल मन तक पहुच जाती हैं और इसके बाद ही अपराध का जन्म हो रहा है ।

    नैतिक शिक्षा व आध्यत्मिक शिक्षा का आभाव हो गया है । अब तकनीकी शिक्षा ही दी जा रही है । फ़ोन से युआ शक्ति अब अनुचित संकरों की और जा रहा है । उचित संस्कारों के लिए विद्यालय भी महत्वपूर्ण संस्था है परन्तु सारे विकल्प ढाक के तीन पात नजर आ रहे हैं ..........कुसंस्कारों के लिए परिवार , विद्यालय एवम ग्राम प्रधान को सामूहिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए तथा सबको इसके लिए दंड का सहभागी होना चाहिए तभी कुछ सार्थक परिणाम की सम्भावना व्यक्त की जा सकती है >
    मार्मिक लेख के लिए आभार ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Naveenji! maine pahle bhi is vishya par kuchch kaha tha lekin......http://ragini-astitva.blogspot.in/2012/12/blog-post_29.html

      हटाएं
  11. कैसे माँ-बाप जो ऐसी औलाद पैदा कर छुट्टा छोड़ देते हैं-सबसे पहले उन्हें ही पकड़ना ठीक रहेगा!

    जवाब देंहटाएं
  12. उफ़ ..क्या कहा जाए..काश वो हाथ आ जाता.
    मुझे प्रतिभा जी के कथन से भी सहमती है.

    जवाब देंहटाएं
  13. Jindagi hai to har tarah ke shaksh kahin na kahin kisi mor pe mil hi jayenge... kutsit mansikta hoti to adhiktar me hai, par kuchh jayda hi kameene hote hain,... aur apni kamini giri hui harkat deekhane se baaj nahi aate... .
    inko ignore karna hi behtar hai...
    ya fir usi samay unka ilaj ho pata to wo sarvottam tha...

    .

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Mukesh ji! ignore karna to apne aap ko aur sharminda karna aur uske is krity me sahyog karna jaisa hota. mere hisaab se maine theek kiya aur agar usme 'mardaangi' hoti to wah mujhe paas aata dekh bhagta na. anyways, wo pakda jayega.

      हटाएं
  14. विकृत मानसिकता का एक रूप है ये .... और अनु की बात से सहमत हूँ ...

    जवाब देंहटाएं

  15. जिंदगी है तो हर मोड पर आपको हर तरह के शख्स से मिलने के लिए तैयार रहना पड़ेगा... इस जिंदगी मे मुझे लगता है थोड़ी बहुत कुत्सित मानसिकता तो अब शायद हर के अंदर होती है, पर पता नहीं क्यों, ये मानसिकता कुछ ज्यादा ही लोग शो ऑफ करने लगे हैं, अब शायद हदें, खत्म होने लगी हैं, और अब ये जरूरी हो गया है की ... कुछ पाठ पढ़ाया जाए.....
    आपको या तो इग्नोर करना था, या फिर पकड़ कर धुलाई करनी थी, करवानी थी...
    खैर...........

    जवाब देंहटाएं
  16. हाँ अब इस नयी पीढी के बिगडैल स्वभाव में न बड़ों के लिए इज्जत बची है और न ही आँखों में शर्म , क्या कहेंगी ? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? हम खुद हैं जो उन्हें संस्कारों में वो न दे सके जो एक बच्चे में ऐसे गुण भर सकें .

    जवाब देंहटाएं
  17. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  18. क्य कहूं रागिनी जी? ऐसी हरकतों पर तो अब मेरे शब्द खत्म हो चुके हैं, कहीं ऐसा न हो कि समूची पुरुष-जाति से ही नफ़रत होने लगे :( बीस साल के बच्चे जब ऐसी अश्लील/घटिया हरकत करने लगें, तब समझिये समाज गर्त में जा चुका. अगली बार अगर कोई ऐसी हरकत करे, तो उसकी तरफ़ चिल्ला के न दौड़ें , बल्कि आराम से जायें, ताकि वो समझ न सके कि आप गुस्से में हैं, फिर उसकी कुटम्मस करें.

    जवाब देंहटाएं
  19. Sach mein is tarah ke nich maansikta waale aaj ladki/aurat/sex ke pichhe paagal hain. Hamein suruaati se samaaj mein bachchon ko sahi pariwesh wa sikshaa dena hoga...........
    Mahilaaon ko aage aana hoga aur unhein is tarah ke galat vyawhaar se purushon ke pratadnaa se ladna hoga. .........
    Mahilaaon ko chupchaap sabkuchh sahte rahna pratadna ko badhaawa dena hai.......

    http://popularindia.blogspot.com/2007/10/blog-post_22.html

    जवाब देंहटाएं
  20. मैं ऐसी किसी भी हरकत को इग्नोर किये जाने के सुझाव से बिलकुल भी सहमत नहीं हूँ, ऐसी हरकतों को बिलकुल भी इग्नोर नहीं किया जाना चाहिये. इग्नोर किये जाने की प्रवृत्ति से ही ऐसे लोगों का साहस दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. इनको इनकी हरकतों के लिए दण्डित और प्रताड़ित किया जाना बहुत जरूरी है. और ऐसे कृत्यों के लिए प्रताड़ना सिर्फ बाहर ही नहीं वरन इनके खुद के घर की महिला सदस्यों माँ, बहन, बीवी, बेटी इत्यादि द्वारा भी की जानी चाहिये ..... हर महिला को ऐसे कुत्सित व्यव्हार के खिलाफ खड़ा होना ही चाहिए, अपने पराये का भेद किये बगैर ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. you are absolutely right manukavyaji! ignore karne se inki himmat aur badhti hai. aapki baat bilkul sahi hai. tnx!

      हटाएं
  21. घृणित मानसिकता का एक उदहारण है ये भी ...... ऐसे बेटों के तो अभिभावक भी दुखी होते होंगें .....

    जवाब देंहटाएं
  22. सटीक, विचारणीय और सार्थक लेख | झकझोर कर रख देने वाला |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं
  23. all are acts of mean and abrupt think.
    i am sirprised how this society is civilaized !

    जवाब देंहटाएं