एक मुठ्ठी सूखी रेत में; घरौंदा देखना......
मेरी इक मृगतृष्णा है........
बादल गरजे, बिजली चमकी,बौछारों ने रास रचाई
सहमी सी उस ख़ामोशी को बूंदों ने भी नज़र लगाई
गर्जन में पिता और बिजली में बचपन;
सहज दिख जाता है,....................
बस,उन बूंदों में मासूमियत ढूंढ पाना
मेरी एक मृगतृष्णा है...........
जीवन की हर राह, मोड़ पर; साथी आये, सपने लाये
संग अपने कसमे-वादों की प्यारी सी सौगात भी लाये
जीवन में दुःख, वादों में सुकून
सहज दिख जाता है .......................
ऐसे ही इक वादे को निभते देख पाना
मेरी इक मृगतृष्णा है.............
लेकिन उस जर्जर घरौंदे में, छोटा सा परिवार बसा है
थकी-हारी माँ की छाती में, अब भी थोडा दूध बचा है
माँ की विवशता, बच्चों की विकलता
सहज दिख जाती है ..............
पल-पल मरते उनमे, जीवन की ललक देख पाना
मेरी इक मृगतृष्णा है...........
इक मुठ्ठी सूखी रेत में; घरौंदा देखना.........
मेरी इक मृगतृष्णा है............
.................................रागिनी.....................
.................................रागिनी.....................
बादल गरजे, बिजली चमकी,बौछारों ने रास रचाई
जवाब देंहटाएंसहमी सी उस ख़ामोशी को बूंदों ने भी नज़र लगाई
गर्जन में पिता और बिजली में बचपन;
सहज दिख जाता है,....................
बस,उन बूंदों में मासूमियत ढूंढ पाना
मेरी एक मृगतृष्णा है...........
बहुत शानदार पंक्तियाँ और एक सुन्दर रचना के लिए बधाई आपको
पल-पल मरते उनमे, जीवन की ललक देख पाना
जवाब देंहटाएंमेरी इक मृगतृष्णा है...........
bahut sundar bhaav ..!!
shubhkamnayen ..
उफ़ मार्मिक ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसच में , सब मृगतृष्णा ही हैं |
जवाब देंहटाएंइक मुठ्ठी सूखी रेत में; घरौंदा देखना.........
जवाब देंहटाएंमेरी इक मृगतृष्णा है
मेरी नवीनतम पोस्ट :
http://dhirendrakasthana.blogspot.in/2012/09/blog-post_20.html
सच है ये तो सब तरफ मृगतृष्णा ही तो है
जवाब देंहटाएंजीवन की हर राह, मोड़ पर; साथी आये, सपने लाये
जवाब देंहटाएंसंग अपने कसमे-वादों की प्यारी सी सौगात भी लाये
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...
बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
शुभकामनायें.
बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...रचना के भाव अंतस को छू गये...
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