तेरे लिए इक नीड़ मैंने बनाया है,
मन के रंगों से उसे मैंने सजाया है
घर के बाहर इक बगीचा बनाया है
प्रेम का इक पौधा उसमे लगाया है ..........
आसक्ति की रोपनी से रोपती उसे मैं
खाद विश्वास का डालती उसे मैं
श्रद्धा के हजारे से सींचती उसे मैं
नेह की डोरी से फिर,बांधती उसे मैं .......
प्रीत की ताजगी ही तो हरियाली है
अपने बगीचे की बात ही निराली है
फूलों से लदी हुई यहाँ की हर डाली है
उस पर प्रणय-गंध कितनी मतवाली है.....
रोज ही यहाँ कितने प्रेम-सुमन झरते हैं
कण-कण प्रकृति के प्रेम-प्रेम करते हैं
इक-दूजे के दुखों को हम प्रेम से हरते है
क्लेश और चिंता यहाँ आने से डरते हैं .......
कितने यत्नों से मैंने तुमको पाया है
तुम जहाँ; वहीँ पर तो मेरा साया है
तेरे लिए इक नीड़ मैंने बनाया है
मन के रंगों से उसे मैंने सजाया है।........
.....................रागिनी.................
मन के रंगों से उसे मैंने सजाया है
घर के बाहर इक बगीचा बनाया है
प्रेम का इक पौधा उसमे लगाया है ..........
आसक्ति की रोपनी से रोपती उसे मैं
खाद विश्वास का डालती उसे मैं
श्रद्धा के हजारे से सींचती उसे मैं
नेह की डोरी से फिर,बांधती उसे मैं .......
प्रीत की ताजगी ही तो हरियाली है
अपने बगीचे की बात ही निराली है
फूलों से लदी हुई यहाँ की हर डाली है
उस पर प्रणय-गंध कितनी मतवाली है.....
रोज ही यहाँ कितने प्रेम-सुमन झरते हैं
कण-कण प्रकृति के प्रेम-प्रेम करते हैं
इक-दूजे के दुखों को हम प्रेम से हरते है
क्लेश और चिंता यहाँ आने से डरते हैं .......
कितने यत्नों से मैंने तुमको पाया है
तुम जहाँ; वहीँ पर तो मेरा साया है
तेरे लिए इक नीड़ मैंने बनाया है
मन के रंगों से उसे मैंने सजाया है।........
.....................रागिनी.................
सुंदर कोमल अहसासों से सजी रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया मैम!
जवाब देंहटाएंसादर
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
प्रीत की ताजगी ही तो हरियाली है
जवाब देंहटाएंअपने बगीचे की बात ही निराली है ...
प्रीत की ताजगी बनी रहे ... बगीचा खिलता रहे .. प्रेम के पौधे लगते रहें ...
वाह बहुत खूब ....दिल के खूबसूरत अहसास
जवाब देंहटाएंgahan bhaav aur sundar ehasaas
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकोमल अहसास और प्यारे से भाव लीए
मीठी सी,मनभावन रचना...
:-)