सोमवार, 25 अप्रैल 2011

यादें

आओ तुम्हारी यादों को थोड़ा सा सवांर लूं,

जम गयी है धूल इनपे चलो  इसे बहार लूं..........

समय की शिला के नीचे दबी हुई यादों को,

जीवन-संध्या की बेला में   फिर से निकाल लूं.........

जिन्दगी  की जद्दोजहद में; भूली उन यादों को,

फुर्सत के इन पलों में; ह्रदय में फिर पाल लूं........


............................रागिनी..................................

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